आज मखाने की दुनिया भर में बहुत मांग है। मांग से अधिक मखाने का उत्पादन होता है। यही कारण है कि चाहे केंद्रीय सरकार हो या राज्य सरकार.दोनों मखाने की खेती में भी काफी सक्रिय दिखते हैं। उन्हें सरकार का भी समर्थन मिला, मनीष आनंद बताते हैं।
बिहार के मिथिला में वर्षों से मखाने की खेती की जाती है। बिहार निवासी मनीष आनंद ने दो दशक तक विदेश में रहने के बाद भारत आकर मखाने की खेती शुरू की।
कृषक सफलता की कहानी: आज बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और ओडिशा में मखाने की खेती होती है। कुछ साल पहले तक केवल पूजा पाठ या खीर में उपयोग होने वाला मखाना आज दुनियाभर में हेल्दी स्नैक्स के रूप में मशहूर है. कुछ लोग मखाने को ड्राई फ्रूट की तरह भी इस्तेमाल करने लगे हैं
जो जोखिम उठाने से नहीं डरते, वे सफल होते हैं। मिथिला के बेटे मनीष ने कुछ ऐसा ही किया है। 2008-09 की बात है जब वह लंदन की एक बड़ी कंपनी में वरिष्ठ अधिकारी थे।
पैकेज भी लाखों में था, लेकिन जब भी अपने गांव मधुबनी आते थे, वापस जाने का मन नहीं करता था। मनीष को अपने गांव के मखाना की खेती में भविष्य का विदेशी ब्रांड दिख गया। उन्हें बड़ी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर अपने गांव की इस चीज को विश्वस्तरीय ब्रांड बनाने की ठानी गई।
फाउंडर मनीष बताते हैं कि बचपन से मखाना से उनका लगाव था। वह हर बार गांव में आते थे तो मखाना की खेती देखते थे। वहीं से मिथिला के किसानों की मदद करने का विचार आया। इसलिए वे अपनी नौकरी छोड़कर गांव आ गए। मिथिला नेचुरल्स की शुरुआत इस तरह हुई। आज कई उत्पाद उपलब्ध हैं। 10 से अधिक स्वतंत्र ब्रांड्स हैं। सब मिलाकर टर्नओवर करीब 32 करोड़ रुपए है।
इनकी कीमतें 20 रुपये से शुरू होकर 5000 रुपये तक होती हैं। सभी उत्पाद मधुबनी जिले के अरेर में बनाए जाते हैं। फाउंडर मनीष बताते हैं कि मिथिला नेचुरल्स के साथ फिलहाल 150 से 200 लोग जुड़ रहे हैं और अपना घर चला रहे हैं। मिथिला नेचुरल्स के उत्पाद देश में ही नहीं विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं। मिथिला नेचुरल्स की वेबसाइट पर ऑनलाइन खरीददारी कर सकते हैं।
एक ब्रांड, मनीष आनंद की मिथिला नेचुरल्स, मखाना से अलग-अलग उत्पाद बनाता है। इसमें नेचुरल मखाना, कूकीज, इंस्टैंट मखाना खीर, आटा, मखाना शेक और बहुत कुछ है।
मिथिला नेचुरल्स नामक कंपनी की स्थापना हुई और आज 32 करोड़ रुपये की ज्वाइंट टर्नओवर करने वाली ब्रांड बन गई। उन्होंने मिथिला के सैकड़ों लोगों को रोजगार दिया है और मखाना के कई उत्पादों को विदेशों में भेजा है।
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