आपका सवाल बहुत अच्छा है. आपका जवाब है कि वे अमीर क्यों होते हैं क्योंकि वे पैसे को सोच समझकर खर्च करते हैं, जहां ₹1 खर्च करना होगा, लोग 50 पैसे में काम चलाने की सोच रखते हैं. अब आप जान सकते हैं कि
Baniya Itne Amir Kyu Hote Hain
दोस्तों, भारत में एक कम्युनिटी है जिसका नाम कंजूसी की मिसाल है। आप लेख के शीर्षक से समझ गए होंगे कि मैं बनिया समाज की बात कर रहा हूँ। यही कारण है कि अगर कोई दोस्त पार्टी देने या धन खर्च करने में कंजूसी करता है, तो हम कहते हैं कि वह बनिया वाली हरकत कर रहा है। जब कोई हमारे सामने छोटी छोटी चीजों को महत्व देता है, तो पहली बात यही होती है। बनिया है क्या? भारत में कंजूसी को बनियों से जोड़ने का यह प्रचलन सदियों से चला आ रहा है।
लेकिन मैं आपको बता दूं कि यह एक बहुत बड़ा भ्रम है कि बनिया सही मायनों में धनवान नहीं होते, बल्कि पैसे की सही बुद्धि होती है। कभी सोचा है कि बनिया समाज इतना अमीर क्यों है? क्यों भारत के दस सबसे अमीर लोगों में से आठ बनिया समाज से हैं? यह जानकर आप हैरान हो जाएंगे कि भारत की कुल जनसंख्या का सिर्फ 1% होने के बावजूद बनियों से देश का 24% इनकम टैक्स प्राप्त होता है और यह छोटी सी कम्यूनिटी देश की जीडीपी में 20% तक का योगदान देती है. लेकिन सवाल ये उठता है कि बनी इतने अमीर कैसे होते हैं और इनमें क्या खूबियां हैं जो दूसरों को इनसे बेहतर बनाते हैं।
दोस्तों, बनिया भारत की एक बहुत पुरानी जाति या कास्ट है, जिसका ताल्लुक रखने वाले लोग अक्सर साहूकार, दुकानदार या व्यापारी होते हैं। संस्कृत शब्द “विश्व वाणिज्य”, जिसका अर्थ है “व्यापार”, खुद बनिया शब्द से आया है। Baniyas मूल रूप से गुजरात और राजस्थान से हैं, लेकिन आज इन लोगों को पूरे भारत में देखा जा सकता है। नाम से बनिया को आसानी से पहचान सकते हैं। आप इन लोगों को अग्रवाल, गुप्ता, सेठ, जायसवाल, वैश्य, मित्तल, गोयल, जिन्दल और गर्ग जैसे बहुत से उपनाम लगेंगे।
बनिये वास्तव में कंजूस नहीं होते
दोस्तों, लोगों को लगता है कि बनी बहुत कंजूस होते हैं और एक पाई जमा करके धनवान बनते हैं, लेकिन मैं आपको बता दूं कि यह एक बहुत बड़ी गलतफहमी है. जैसा कि मैंने आपको आर्टिकल के शुरू में बताया था, बनी नहीं कंजूस होते, बल्कि पैसे की बुद्धिमानी होती है. एक कंजूस आदमी समझता है कि समय ज्यादा मूल्यवान है|
कंजूस आदमी और बनिये में अंतर है
कल्पना कीजिए कि आप किसी सब्जी मंडी में रहते हैं जहां सब्जी बेचने वाला हर दिन आपके घर आता है, इसलिए इसका मूल्य मंडी से कुछ अधिक होगा। ऐसे में कंजूस आदमी क्या करेगा? वह दो किलोमीटर दूर एक सब्जी मंडी जाएगा और एक से डेढ़ घंटे बर्बाद करके वहां से सब्जी ले आएगा. वह 20 रुपये बचाकर खुश हो जाएगा लेकिन कभी भी 20 रुपये के लिए एक बनिया नहीं करेगा क्योंकि वह समय की कीमत जानता है और अपना समय और ऊर्जा बर्बाद नहीं करेगा। उसने एक घंटे बिताया क्योंकि वह इससे पांच गुना ज्यादा राशि है।
और दोस्तों, यही अंतर है यदि एक आदमी पैसे और कंजूस की सही समझ रखता है, तो दूसरा आदमी हमेशा अपनी बचत के बारे में सोचता है। अगर उसे जीवन में पैसे से संबंधित कोई समस्या आती है, तो वह अपने खर्चों को कम करके और भी अधिक खाता है. हालांकि, वह बचत करने की जगह हमेशा अधिक पैसे कमाने की कोशिश करता है। उसे पता है कि जीवन में बहुत पैसा कमाना चाहते हैं तो अपनी क्षमता को बढ़ाना होगा, न कि पाई पाई जोड़कर। देखो, कंजूस आदमी का सबसे बड़ा लक्षण यह है कि वह हर समय का जूस होता है।
वह इतना कंजूस होता है कि अपने बिजनेस को विकसित करने के लिए भी पैसे नहीं खर्च करता. दूसरी ओर, बनियों को देखते हुए आप देखते हैं कि वे जानते हैं कि आज जो पैसा वे धंधे में डाल रहे हैं, वह बाद में कई गुना रिटर्न दे सकता है।
बनियों क्यों को होता हैं हाई ब्लड प्रेशर और शुगर
ज्यादातर बनियों में हाई ब्लड प्रेशर और शुगर की समस्याएं होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि वे अपने व्यवसाय में बहुत बड़ा रिस्क लेते हैं। एक बनिया अपने काम में फायदे की संपत्ति खरीदने में और अपने बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करता है, जो एक कंजूस आदमी कभी नहीं कर सकता, इसलिए वह जीवन भर एक छोटे से क्षेत्र में रहता है।
जब विशेषज्ञता की बात आती है तो बनिये बेजोड़ हैं
वह चाहे किराने की दुकान चलाता हो, रेस्ट्रॉन्ट हो या मिठाई बेचता हो, बनिया अपने क्षेत्र को बेहतर जानते हैं। वह क्या चाहता है और क्या पसंद करता है गुणवत्तापूर्ण और कम लागत वाले उत्पादों को कहां पाया जा सकता है और अपनी आय को कैसे बढ़ाया जा सकता है वह इन सभी बातों को हमेशा पढ़ता रहता है, जिससे वह अपने बिजनस में इतना जानकार बन गया है कि कोई भी उसे मूर्ख बना ही नहीं सकता। कस्टमर के साथ-साथ बनिया अपने प्रतिद्वंद्वी पर भी पूरी नजर रखता है, इसलिए आप हमेशा देखेंगे कि
केवल बनिये ही मोलभाव करना जानते हैं
मित्रों, हमेशा कहा जाता है कि बनिया मोलभाव करने में माहिर होते हैं. लोगों को लगता है कि बनिया छोटी-मोटी चीजों में मोलभाव करते हैं, जैसे कि सब्जी या ऑटोरिक्शा बेचने वाले. लेकिन असल में ऐसा नहीं है, बनिया भी दूसरे लोगों की तरह छोटी-मोटी चीजों में मोलभाव करते हैं. लेकिन एक बात जो बनिया को अलग बनाती है, वह
अगर आप एक गरीब रिक्शेवाले से दस रुपये के लिए संघर्ष करते हैं, तो भी आप बड़े फांसी ब्रांड से डिस्काउंट मांगने में शर्मिंदगी महसूस करेंगे, क्योंकि बिना डिस्काउंट के ये लोग काम नहीं करते. मेरा विचार है कि बड़े ब्रांडों से खरीदारी करने में शर्मिंदगी होनी चाहिए क्योंकि अगर आप किसी चीज पर पर्याप्त पैसा खर्च करने वाले हैं तो फिर मोलभाव कर
Thanks